गायत्री मंत्र का महत्व एवं लाभ ।
ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्॥
अर्थ - उस प्राणस्वरूप, दु:ख नाशक, सुख स्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देव स्वरूप परमात्मा को हम अन्तरात्मा में धारण करें। वह
ईश्वर हमारी बुद्धि को सन्मार्ग पर प्रेरित करें।
गायत्री मंत्र एक पवित्र
वैदिक मंत्र है, जिसे हमारे
धर्म के अनुसार सबसे शक्तिशाली एवं दिव्य मंत्रों में से एक माना जाता है। यह हिंदू देवता सावित्री का एक भजन है, जिसे दिव्य प्रकाश के रूप में देखा जाता है जो सभी अस्तित्व
को रोशन करता है।
मंत्र 24 अक्षरों से बना यह मंत्र आमतौर पर सुबह सूर्योदय के समय या
शाम को सूर्यास्त के दौरान जप किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि गायत्री मंत्र का
जाप मन को शुद्ध कर सकता है, बुद्धि को प्रबुद्ध कर सकता है और आध्यात्मिक जागृति की ओर
ले जा सकता है।
कैसे हुई गायत्री मंत्र
की शुरुआत ?
प्राचीन मान्यताओं के
अनुसार गायत्री मंत्र की उत्पत्ति महार्षि विश्वामित्र द्वारा की गई थी। पौराणिक
मान्यता अनुसार जब इंद्रदेव ने मेनका का रूप धारण करके विश्वामित्र की तपस्या भंग
की थी। तब विश्वामित्र ने ध्यान लगाने का कई बार प्रयास किया। परंतु उन्हें सफलता
हासिल नहीं हुई। परिणामस्वरुप महार्षि विश्वामित्र
ने ईश्वर का ध्यान करते हुए ‘‘ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य
धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।” मंत्र का उच्चारण किया। इस मंत्र का जाप करने के
बाद विश्वामित्र की तपस्या सफल हो गई। साथ ही ऐसी मान्यता है कि इस प्रसंग के बाद
ब्रह्मा जी ने विश्वामित्र को ऋषि की उपाधि दी थी। गायत्री मंत्र की उत्पत्ति से
जुड़ी एक अन्य पौराणिक कथा भी है। इस कथन के अनुसार गायत्री ब्रह्मा जी की पत्नी
थी। उन्हें चेतना शक्ति माना जाता था। और उन्होंने गायत्री मंत्र की उत्पत्ति की।
गायत्री मंत्र से क्या
होता है ?
मान्यताओं के अनुसार गायत्री मंत्र का जाप करने से सभी परेशानियां हल हो जाती हैं। अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक पं. श्रीराम आचार्य शर्मा द्वारा गायत्री के इस महामंत्र को जन-जन पहुंचाया गया है। हिंदू धर्म में गायत्री मंत्र को अत्यंत ही पवित्र माना जाता है। जो भी जातक गायत्री मंत्र का जाप करता है उसके बिगड़े हुए काम बन जाते हैं। माना जाता है कि गायत्री मंत्र चेतना और बुद्धि का मंत्र है। अतः छात्रों के लिए यह मंत्र लाभदायक होता है। वैज्ञानिक रुप से भी निरंतर गायत्री मंत्र के जाप से मनुष्क को मानसिक विकार जैसे अवसाद, चिंता आदि से मुक्ति मिल सकती हैं।
गायत्री मंत्र छात्रों
के लिए -
यदि कोई छात्र इस मंत्र का रोजाना 108 बार जाप करें, तो उसे पढ़ाई में ध्यान केंद्रित करने में सहायता मिलती है। इस मंत्र के शुभ फल से छात्रों को परीक्षा में सफलता प्राप्त होती है। इसके अतिरिक्त गायत्री मंत्र का प्रतिदिन जाप करने से बीमारियों का नाश होता है और निरोगी शरीर का वरदान मिलता है।
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