जैसे-जैसे देश में 2024 लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, विभिन्न राजनैतिक दल अपनी-अपनी तैयारियों में जुट गए हैं। इसी बीच सभी राजनैतिक दलों ने अपनी – अपनी नीतियां बनाना शुरु कर दिया हैं। भारत में 18वीं लोकसभा के सदस्यों के चुनाव के लिए अप्रैल और मई 2024 तक लोकसभा चुनाव होने की उम्मीद है, लोकसभा का कार्यकाल 16 जून 2024 को समाप्त होने वाला हैं। पिछला लोकसभा चुनाव अप्रैल-मई 2019 में हुए थे. चुनाव के बाद, भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने केंद्र सरकार बनाई, जिसमें नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने रहे। चुनाव लड़ने वाले 6 राष्ट्रीय दल हैं जिनमें भारतीय जनता पार्टी (BJP), कांग्रेस (Congress), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI(M), बहुजन समाज पार्टी (BSP), नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) और आम आदमी पार्टी (AAP). इन पार्टियों में बीजेपी और कांग्रेस चुनाव के मुख्य दावेदार हैं ।
विरोधियों
की नयी नीति - I.N.D.I.A
भाजपा दूसरी
पार्टियों के मजबूत नेताओं को अपने साथ मिलने का प्रयोग पहले भी कर चुकी है। इस
बार भी जब लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस समेत देश के 26 राजनैतिक दल एक मंच पर आ चुके हैं। इन्होंने भारतीय राष्ट्रीय विकासशील
समावेशी गठबंधन (I.N.D.I.A.) बना लिया है। हालांकि इस धड़े
में बहुत कुछ नाराजगियां भी जगजाहिर हो चुकी हैं। हाल ही में मध्य प्रदेश चुनाव के
विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टभ्, जनता दल यूनाइटेड और
आम आदमी पार्टी ने अपने-अपने उम्मीदवार खड़े करके गठबंधन के प्रमुख दल कांग्रेस की
टेंशन बढ़ा दी थी। इसके उलट भाजपा नेतृत्व अपने ही हिसाब से काम कर रहा है। पार्टी
ने समाजवादी पार्टी बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल और
कांग्रेस में सेंधमारी की तैयारी शुरू कर दी है। इस प्लान के तहत जिला स्तर से
लेकर प्रदेश स्तर तक विपक्षी दलों के ऐसे प्रभावशाली नेताओं को चिह्नित किया जा रहा है, जो अपनी पार्टी
में उपेक्षित हैं, लेकिन मतदाताओं के बीच उनका प्रभाव है।
बीजेपी
के प्रति दूसरे दलों में आकर्षण की बड़ी वजह
उधर, दूसरे दलों से आने वाले नेताओं में बीजेपी के प्रति आकर्षण की वजह यूं ही
नहीं है। बसपा से आने वाले बृजेश पाठक हो या फिर पिछली सरकार में स्वामी प्रसाद
मौर्य रहे हों, रीता बहुगुणा जोशी से लेकर जितिन प्रसाद तक
कांग्रेस को छोड़ भाजपा में आए। कोई डिप्टी सीएम बना तो कोई कैबिनेट मंत्री तो कोई
सांसद, इसलिए विपक्षी दलों के नाराज नेताओं को भी लगता है कि
बीजेपी के साथ जाने उनकी राजनीति ज्यादा चमक-दमक वाली हो सकती है।
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