"इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष की भविष्य संभावनाएं"

 


हाल ही में गाज़ा पट्टी पर शासन करने वाले उग्रवादी समूह हमास ने जल, थल और वायु मार्ग से इज़रायल पर विनाशकारी हमला किया, जिसमें कई लोगों की जान गई है। इससे इज़रायल-फिलिस्तीन संघर्ष के बीच सदियों से चला आ रहा विवाद पुनर्जीवित हो गया है, जिसमें वैश्विक एवं क्षेत्रीय शक्तियों के हस्तक्षेप की आवश्यकता है।

इज़रायल-फिलिस्तीन के मध्य संघर्ष:

इज़रायल-फिलिस्तीन के बीच संघर्ष की नींव वर्ष 1917 में रखी गई थी जब तत्कालीन ब्रिटिश विदेश सचिव आर्थर जेम्स बॅल्फोर ने बॅल्फोर घोषणा के तहत फिलिस्तीन में यहूदियों के लिये "नेशनल होम" हेतु ब्रिटेन का आधिकारिक समर्थन व्यक्त किया था। अरब और यहूदी हिंसा को रोकने में असमर्थ ब्रिटेन ने वर्ष 1948 में फिलिस्तीन से अपनी सेनाएँ वापस बुला लीं और प्रतिस्पर्द्धी दावों का निपटान करने की ज़िम्मेदारी नवनिर्मित संयुक्त राष्ट्र पर छोड़ दी। संयुक्त राष्ट्र ने फिलिस्तीन में स्वतंत्र यहूदी और अरब राज्य के निर्माण के लिये एक विभाजन योजना प्रस्तुत की जिसे अधिकांश अरब देशों ने अस्वीकार कर दिया।

अरब इज़रायल युद्ध -  वर्ष 1948 में इज़रायल की स्वतंत्रता की यहूदी घोषणा के बाद से पड़ोसी अरब राज्यों ने इज़रायल पर आक्रमण शुरू कर दिया। इन युद्धों के अंत में इज़रायल ने संयुक्त राष्ट्र की विभाजन योजना की अपेक्षा लगभग 50% अधिक क्षेत्र पर नियंत्रण कर लिया।

संयुक्त राष्ट्र की विभाजन योजना-  इस योजना के अनुसार, जॉर्डन ने वेस्ट बैंक और यरूशलम के पवित्र स्थलों तथा मिस्र ने गाज़ा पट्टी पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया किंतु यह फिलिस्तीनी संकट को हल करने में विफल रहा जिसके कारण वर्ष 1964 में फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन का गठन हुआ।

फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन (PLO) - फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन की स्थापना फिलिस्तीन को इज़रायल और यहूदी प्रभुत्व से मुक्त कराने तथा अरब राज्यों पर मुस्लिम राज्यों का प्रभुत्व स्थापित करने के उद्देश्य से की गई थी। संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1975 में PLO को पर्यवेक्षक का दर्जा प्रदान किया तथा फिलिस्तीनियों के आत्मनिर्णय के अधिकार को मान्यता दी।

हमास का उदय -  वर्ष 1987: हमास मिस्र के मुस्लिम ब्रदरहुड की एक हिंसक शाखा थी, जो हिंसक जिहाद के माध्यम से अपने एजेंडे को पूरा करना चाहती थी।

हमास: अमेरिका इसे एक आतंकवादी संगठन मानता है। वर्ष 2006 में हमास ने फिलिस्तीनी प्राधिकरण के विधायी चुनाव में जीत दर्ज की और वर्ष 2007 में फतह को गाज़ा से अलग कर दिया, साथ ही फिलिस्तीनी आंदोलन को भौगोलिक रूप से भी विभाजित कर दिया।

वर्ष 1987: वेस्ट बैंक और गाज़ा के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में तनाव चरम पर पहुँच गया जिसके परिणामस्वरूप पहला इंतिफादा (फिलिस्तीनी विद्रोह) हुआ। यह फिलिस्तीनी उग्रवादियों तथा इज़रायली सेना के बीच एक छोटे युद्ध में परिवर्तित हो गया।

भविष्य की संभावनाओं:

 

दो-राज्य समाधान: इजराइल और फिलिस्तीन के साथ-साथ सह-अस्तित्व के साथ दो-राज्य समाधान की अवधारणा, शांति वार्ता का केंद्रीय फोकस रही है। हालाँकि, यरूशलेम की स्थिति, सीमाएँ, शरणार्थी और सुरक्षा चिंताएँ जैसी चुनौतियाँ प्रगति में बाधा बनी हुई हैं। इस समाधान की व्यवहार्यता अनिश्चित बनी हुई है.

 

एक-राज्य समाधान: कुछ लोग एक-राज्य समाधान की वकालत करते हैं, एक लोकतांत्रिक राज्य की कल्पना करते हैं जहां इजरायल और फिलिस्तीनी समान अधिकार साझा करते हैं। हालाँकि, इस विचार को उन लोगों के विरोध का सामना करना पड़ता है जो राष्ट्रीय पहचान और सुरक्षा चिंताओं के नुकसान से डरते हैं।

 

अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता: अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भागीदारी महत्वपूर्ण बनी हुई है। राजनयिक पहल, शांति सम्मेलन और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए दोनों पक्षों पर निरंतर दबाव आवश्यक है। बातचीत को सुविधाजनक बनाने में संयुक्त राष्ट्र और प्रमुख शक्तियों की भूमिका को बढ़ा-चढ़ाकर नहीं बताया जा सकता।

 

नागरिक समाज और जमीनी स्तर के आंदोलन: इज़राइल और फिलिस्तीन के भीतर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जमीनी स्तर के आंदोलन और नागरिक समाज की पहल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लोगों से लोगों के बीच संवाद, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और समझ और सहानुभूति को बढ़ावा देने वाली पहल स्थायी शांति की नींव बनाने में योगदान दे सकती हैं।

 

निष्कर्ष:

इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष गहरी ऐतिहासिक जड़ों और जटिल समकालीन गतिशीलता वाला एक बहुआयामी मुद्दा है। जहां वर्तमान वास्तविकताएं चुनौतियों से भरी हैं, वहीं सकारात्मक बदलाव के अवसर भी मौजूद हैं। भविष्य सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए दोनों पक्षों की इच्छा, मध्यस्थता के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की प्रतिबद्धता और शांति की दिशा में काम करने वाले व्यक्तियों और संगठनों के प्रयासों पर निर्भर है। आगे का रास्ता अनिश्चित है, लेकिन सामूहिक प्रयासों और न्याय के प्रति प्रतिबद्धता के साथ, अधिक स्थिर और सामंजस्यपूर्ण भविष्य पहुंच में है।

  

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